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What Is Diabetes? | डायबिटीज़ क्या है?
डायबिटीज (Diabetes) एक जीवन भर रहने वाली बीमारी है। यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक होता है। जब, व्यक्ति के शरीर में पूरी मात्रा में इंसुलिन (Insulin) नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। जैसा कि, इंसुलिन का बनना शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह रक्त से शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज़ का संचार करता है। इसलिए, जब इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता तो पीड़ित व्यक्ति के बॉडी मेटाबॉलिज्म पर भी इसका असर पड़ता है।
हम जो खाना खाते हैं इससे शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है जिसे कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है तो वे अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं और ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसके वजह से ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में ज़ियादा ग्लूकोज नुकसानदायक साबित हो सकता है।
Types Of Diabetes | डायबिटीज के प्रकार
डॉयबिटीज़ मुख्यतः तीन 3 प्रकार की होती है। जिनको निचे दिए नामों से जाना जाता है –
- टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)
- टाइप-2 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)
- जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes), जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या है।
What is Type 1 Diabetes? | टाइप-1 डॉयबिटीज़ क्या है?
टाइप 1 मधुमेह एक जटिल स्थिति है, जिसे कभी किशोर मधुमेह (juvenile diabetes) या इंसुलिन-निर्भर मधुमेह के रूप में जाना जाता था। इस स्थिति में, अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बनाता है या बहुत कम इंसुलिन बनाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जिसका उपयोग शरीर शुगर (ग्लूकोज) को कोशिकाओं में प्रवेश करके ऊर्जा पैदा करने के लिए करता है।
विभिन्न कारक, जैसे आनुवंशिकी और कुछ वायरस, टाइप 1 मधुमेह का कारण (type 1 diabetes causes) बन सकते हैं। हालाँकि टाइप 1 मधुमेह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में प्रकट होता है, यह वयस्कों में विकसित हो सकता है।
What is Type 2 Diabetes? | टाइप-2 डॉयबिटीज़ क्या है?
यह मधुमेह का सबसे आम रूप है। टाइप 2 मधुमेह (Type-2 Diabetes) एक लम्बे समय तक होने वाली बीमारी है, जिसमें आपका शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप रक्त शर्करा का स्तर (blood sugar levels) असामान्य होता है। यह तब होता है जब आपका रक्त शर्करा (glucose), जिसे रक्त शर्करा (blood sugar) भी कहा जाता है, बहुत अधिक होता है। ग्लूकोज आपकी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।
What is Gestational Diabetes? | जेस्टेशनल डायबिटीज क्या है?
गर्भकालीन मधुमेह गर्भावस्था (pregnancy) के दौरान पहली बार मधुमेह का पता चला है। अन्य प्रकार के मधुमेह की तरह, गर्भकालीन मधुमेह आपकी कोशिकाओं के शर्करा (ग्लूकोज) का उपयोग करने को प्रभावित करता है। गर्भकालीन मधुमेह से उच्च रक्त शर्करा (high blood sugar symptoms) का खतरा बढ़ता है जो आपकी गर्भावस्था और आपके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
What Are The Causes Of Diabetes? | डायबिटीज के कारण क्या हैं?
टाइप-1 डॉयबिटीज़ (what causes type 1 diabetes) और टाइप-2 डॉयबिटीज़ (what causes type 2 diabetes) दोनों के कारण अलग अलग या मिलते जुलते भी हो सकते हैं। आमतौर पर जब शरीर सही तरीके से खून में मौजूद ग्लूकोज या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब, व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण निम्न स्थितियां हो सकती हैं (what causes diabetes)-
- इंसुलिन की कमी
- परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज होना
- बढ़ती उम्र
- हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
- एक्सरसाइज ना करने की आदत
- हार्मोन्स का असंतुलन
- हाई ब्लड प्रेशर
- खानपान की गलत आदतें
वैसे टाइप-1 डॉयबिटीज़ (what causes type 1 diabetes) का कोई सटीक कारण नहीं है। आमतौर पर शरीर की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, जो आमतौर पर नुकसानदायक बेक्टेरिया और वायरसों से लड़ती है – अग्नाशय (Pancrease) में इन्सुलिन-उत्पादक (islet) कोशिकाओं को ख़तम कर देती है। जिसकी वजह से शरीर में इन्सुलिन (what is insulin) का स्तर प्रभावित होता है जो टाइप-1 डॉयबिटीज़ होने का खतरा बढ़ने का कारण बन सकता है। अन्य संभावित कारणों में शामिल हैं –
- आनुवंशिकी (परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज होना)
- वायरस और अन्य पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में आना
What Are The Symptoms of Diabetes? | डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?
पीड़ित व्यक्ति के शरीर में घटे हुए ब्लड शुगर (low blood sugar symptoms) या बढ़े हुए ब्लड शुगर (high blood sugar symptoms) के स्तर के अनुसार उसमें डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते हैं। टाइप-1 डॉयबिटीज़ और टाइप-2 डॉयबिटीज़ दोनों के लक्षण अलग अलग या मिलते जुलते भी हो सकते हैं।
ज्यादातर मामलों में अगर व्यक्ति प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हो तो, समस्या की शुरुआत में लक्षण (type 2 diabetes symptoms) दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में डायबिटीज लक्षण (type 1 diabetes symptoms) बहुत तेजी से दिखाई देते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं। टाइप-1 डायबिटीज़ और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं-
High Blood Sugar Symptoms | हाई ब्लड शुगर के लक्षण
टाइप-2 डायबिटीज़ के लक्षण (signs of type 2 diabetes) अचानक हो सकते हैं और निम्नलिखित हो सकते है –
- सामान्य से बहुत ज़्यादा प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना, पेशाब में बदबू आना
- अचानक सिर में तेज़ दर्द
- भूख बहुत अधिक लगना
- बिना कोशिश के अचानक से शरीर का वजन कम हो जाना या बढ़ जाना
- थकान और कमज़ोरी
- आंखों के आगे धुंधलापन
- घाव भरने में सामान्य से बहुत अधिक समय लगना
- स्किन इंफेक्शन
- ओरल इंफेक्शन
- वजाइनल इंफेक्शन
Low Blood Sugar Symptoms | लो ब्लड शुगर के लक्षण
टाइप-1 डायबिटीज़ के लक्षण (signs of type 1 diabetes) अचानक हो सकते हैं और निम्नलिखित हो सकते है –
- चक्कर आना
- घबराहट
- जिन बच्चों ने रात में बिस्तर गीला नहीं किया है, उनका बिस्तर गीला करना
- बिना कोशिश के अचानक से शरीर का वजन कम हो जाना
- आंखों के आगे धुंधलापन
- पसीना ज्यादा आना
- दिल की धड़कन तेज होना
- भूख ज्यादा लगना
- चिड़चिड़ापन
- शरीर में झुनझुनी महसूस होना
- रात में ठीक से नींद न आना
When to see a doctor? | डॉक्टर को कब दिखायें?
यदि आप अपने या अपने बच्चे में ऊपर दिये गये लक्षणों में से कोई भी लक्षण या संकेत देखते हैं तो तुरंत अपने स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह करें।
Diagnosis of Diabetes | डायबिटीज का निदान
डायबिटीज के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। टाइप-1 डॉयबिटीज़ (type 1 diabetes diagnosis) और टाइप-2 डॉयबिटीज़ (type 2 diabetes diagnosis) दोनों के निदान अलग अलग हो सकते हैं। आपके डॉक्टर आपके डायबिटीज के लक्षणों के हिसाब से उसके निदान के लिए निम्न प्रकार के कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं –
HBA1C Test in Hindi | एचबीए1सी टेस्ट हिंदी में
Hba1c टेस्ट (Hba1c test meaning) – इसे हीमोग्लोबिन A1C या HbA1c परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है। यह एक साधारण ब्लड टेस्ट है। इस प्रकार का टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज के मरीज़ो के लिए किया जाता है। जिसमें, मरीज को हर 3 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराना होता है और उसका एवरेज ब्लड ग्लूकोज लेवल जांचा जाता है। एचबीए1सी टेस्ट में 5 से 10 तक के अंकों (hba1c test range) में ब्लड में ग्लूकोज का स्तर मापा जाता है। अगर टेस्ट रिपोर्ट में 5.7 से नीचे का आंकड़ा दिखाया जाता है तो वह नॉर्मल (hba1c normal value) होता है। लेकिन अगर किसी का ए1सी लेवल 6.5% से अधिक दिखायी पड़ता है तो वह, डायबिटीज का मरीज कहलाता है।
साधारण टेस्ट होने के साथ साथ यह एक मुख्य टेस्ट भी है क्यूंकि यह आपको और आपके स्वास्थय चिकित्सक को आपके डॉयबिटीज़ (मधुमेह) को ठीक तरीके से देखरेख करने में मदद करता है।
Hemoglobin A1C Normal Range | HbA1c Test Report
5.7% से कम : सामान्य
5.7% से 6.4% : प्रीडायबिटीज़
6.5% या उससे ज़्यादा : डायबिटीज़
Hba1c Normal Range Chart In Hindi | एचबीए1सी रेंज चार्ट हिंदी में
Hemoglobin HbA1c Test Range | HbA1c Test Result |
5.7% से कम | Normal (सामान्य) |
5.7% से 6.4% | Prediabetes (डायबिटीज़ की शुरुआत) |
6.5% या उससे ज़्यादा | Diabetes (डायबिटीज़) |
Hba1c full form | Hemoglobin A1C |
Hba1c test full form in hindi | हीमोग्लोबिन A1C |
Fasting Plasma Glucose Test | फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
FPG Test हाई ब्लड शुगर की स्थिति को समझने के लिए यह सबसे आम ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को खाली पेट रहते हुए ब्लड सैम्पल देना पड़ता है। जिसके लिए 10-12 घंटों तक भूखे रहने के लिए कहा जाता है। उसके बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है। एफपीजी टेस्ट की नार्मल रेंज (FPG normal range) सामान्यतः यह मानी जाती है –
Normal Fasting Plasma Glucose Level
99 mg/dL से कम : सामान्य
100 से 125 mg/dL : प्रीडायबिटीज़
126 mg/dL या उससे अधिक : डायबिटीज़
FPG Test Range | FPG Test Result |
99 mg/dL से कम | Normal (सामान्य) |
100 से 125 mg/dL | Prediabetes (डायबिटीज़ की शुरुआत) |
126 mg/dL या उससे अधिक | Diabetes (डायबिटीज़) |
FPG Test Full Form : PFG टेस्ट की फुल फॉर्म है – Fasting Plasma Glucose Test
Oral Glucose Tolerance Test | ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
इस टेस्ट में भी खाली पेट रहते ही ब्लड सैम्पल लिया जाता है। यह टेस्ट करने से दो घंटे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पिलाया जाता है। यह टेस्ट मुख्यतः प्रेगनेंसी के दौरान ग्लूकोज़ लेवल को जांचने के लिए क्या जाता है। लेकिन यह टेस्ट बच्चों और बड़ों के लिए भी सुरक्षित है और उन पर किया जा सकता है।
इस टेस्ट को करने के अलग अलग तरीके हो सकते हैं। इस टेस्ट के लिए आप थोड़ी देर कुछ ना खाकर (उपवास) शक्कर मिला एक घोल पीते हैं। उसके बाद बच्चों और वयस्कों से मुख्यतः 2-2 घंटे बाद ब्लड सैंपल लिया जाता है और गर्भवती महिलाओं से 1, 2 और 3 घंटों के अंतराल पर ब्लड सैंपल लिया जाता है। जिससे यह देखा जाता है कि आपका शरीर पेय में शुगर (glucose) को कैसे संभाल रहा है और कैसे उसे आपके रक्तप्रवाह से बहार निकाल रहा है।
2-ऑवर ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट: इस टेस्ट में 2 ब्लड सैंपल लिए जाते हैं – एक मीठा घोल पीने से पहले और एक घोल पीने के 2 घंटे बाद। यह टेस्ट बच्चों और बिना गर्भावस्था के वयस्कों में डायबिटीज़ या प्रीडायबिटीज़ का पता लगाने के लिए किया जाता है।
3-ऑवर ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट: यह टेस्ट 4 ब्लड सैंपल के साथ किया जाता है – एक सैंपल मीठा घोल पीने से पहले और 3 सैंपल 1, 2 और 3 घंटों के अंतराल पर लिए जाते हैं। इस टेस्ट का उपयोग आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था से सम्बंधित डायबिटीज़ (गर्भकालीन मधुमेह – Gestational Diabetes) का पता लगाने के लिए किया जाता है।
ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट के द्वारा टाइप-1 डायबिटीज़, टाइप-2 डायबिटीज़, गर्भावस्था से सम्बंधित डायबिटीज़ (गर्भकालीन मधुमेह – Gestational Diabetes) और हाई ब्लड शुगर लेवल का पता लगाया जा सकता है जो किसी के टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ा सकता है।
बिना गर्भावस्था के वयस्कों या बच्चों के लिए 2-ऑवर ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट के रिजल्ट हैं –
140 mg/dL से कम : सामान्य
140 से 199 mg/dL : प्रीडायबिटीज या IGT
200 mg/dL या उससे अधिक : मधुमेह (अनुमानित):
OGTT Test Range | OGTT Test Result |
140 mg/dL से कम | Normal (सामान्य) |
140 से 199 mg/dL | Prediabetes (डायबिटीज़ की शुरुआत) |
200 mg/dL या उससे अधिक | Diabetes (डायबिटीज़) |
यदि आपके खून में ग्लूकोज का मात्रा 200 mg/dL से अधिक है, तो आपका डॉक्टर आपसे फिर से परीक्षण करवाने के लिए कह सकता है या डायबिटीज़ का पक्के तोर पर पता लगाने के लिए किसी दुसरे टेस्ट का उपयोग कर सकता है। यदि दोनों परीक्षण पॉजिटिव आते हैं, तो आपको डायबिटीज़ कन्फर्म है।
गर्भवती महिलाओं में 3-ऑवर ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट के रिजल्ट हैं –
3-ऑवर ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट के परिणामों की अलग-अलग व्याख्या की जाती है। इसके लिए, चारों ब्लड सैंपल में से एक या अधिक के दौरान एक या अधिक उच्च ग्लूकोज मूल्यों के आधार पर प्रारंभिक निदान किया जाता है। आपको फिर से परीक्षण करवाकर असामान्य मूल्यों की पुष्टि करने की आवश्यकता है।
Glucose Challenge Test Pregnancy Normal Range
95 mg/dL से कम : उपवास की स्थिति में सामान्य
180 mg/dL से कम : एक घंटे के बाद सामान्य
155 mg/dL से कम : दो घंटे के बाद सामान्य
140 mg/dL से कम : तीन घंटे के बाद सामान्य
इस तरह के टेस्ट में मरीज़ के ब्लड सैम्पल की 4 बार जांच की जाती है। अगर ब्लड शुगर लेवल दो बार नॉर्मल से ज्यादा पाया जाता है तो गर्भवती महिला को गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) होने की पुष्टि की जाती है।
OGTT Normal Range In Pregnancy | Normal OGTT For Pregnant Result |
95 mg/dL से कम | उपवास की स्थिति में सामान्य |
180 mg/dL से कम | एक घंटे के बाद सामान्य |
155 mg/dL से कम | दो घंटे के बाद सामान्य |
140 mg/dL से कम | तीन घंटे के बाद सामान्य |
यदि कोई मान ज़्यादा आता है, तो टेस्ट चार सप्ताह में दोहराया जाता है। दूसरे टेस्ट के बाद, यदि दो या दो से ज़्यादा आंकड़े अधिक हैं, तो गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) को निश्चित रूप से कन्फर्म किया जाता है।
नोट : अगर आपको पहले से ही डायबिटीज़ या प्रीडाइबिटीज़ कन्फर्म हो चुकी है तो आप ओरल ग्लूकोस टॉलरेंस टेस्ट करवाने से बचें, क्यूंकि इससे आपका ब्लड शुगर लेवल असामन्य होने का खतरा (Risk of OGTT) बढ़ सकता है।
OGTT Full Form : OGTT टेस्ट की फुल फॉर्म है – Oral Glucose Tolerance Test
एक बार जब आपको डायबिटीज़ की पुष्टि हो जाती है तो आपका डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश कर सकता है कि आपको टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज़ है।
What Is The Treatment of Diabetes? | डायबिटीज का उपचार क्या है?
टाइप-1 डायबिटीज का कोई स्थायी उपचार नहीं है इसलिए, पीड़ित व्यक्ति को पूरी ज़िंदगी टाइप-1 डायबिटीज का मरीज बनकर रहना पड़ता है। ऐसे लोगों को इंसुलिन लेना पड़ता है जिसकी मदद से वे अपनी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
लेकिन, टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के रोज़ाना व्यायाम, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को ठीक करके छुटकारा पाया जा सकता है। सही खानपान और स्वास्थ्य जीवनशैली टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके अलावा कुछ ओरल एंटीबायोटिक दवाएं (diabetes medications) टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं।
How To Avoid Diabetes? | डायबिटीज से बचाव के उपाय क्या हैं?
डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है जिससे, आपको आजीवन परेशानियां हो सकती हैं। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन, कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है।
- मीठा कम खाएं। शक्कर से भरा और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से बचें।
- संतुलित भोजन करें,
- एक्टिव रहें, नियमित व्यायाम करें, सुबह-शाम टहलने जाएं,
- पानी ज्यादा पीएं,
- मीठे शरबत और सोडा वाले ड्रिंक्स पीने से बचें,
- आइसक्रीम, कैंडी खाने से भी परहेज करें,
- वजन घटाएं और नियंत्रण में रखें,
- स्मोकिंग और अल्कोहल लेने से परहेज करें,
- हाई फाइबर डाइट खाएं,
- प्रोटीन का सेवन भी अधिक मात्रा में करें,
- विटामिन डी की कमी ना होने दें। क्योंकि, विटामिन डी की कमी से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
What Is Diabetes FAQ
शरीर में इंसुलिन की कमी होने से कोशिकाएं अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती हैं और रक्त से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसके वजह से शर्करा (ग्लूकोज) रक्त में ही इकट्ठा हो जाता है और रक्त में ज़्यादा ग्लूकोज शरीर के नुकसानदायक साबित हो सकता है जिससे डायबिटीज़ होने का खतरा बढ़ जाता है। ज़्यादा जानने के लिए अपने चिकित्सक से सलाह लें।
टाइप-1 डॉयबिटीज़ का सीधे तोर पर कोई कारण नहीं है।
संभावित कारणों में शामिल हैं –
– आनुवंशिकी (परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज होना)
– वायरस और अन्य पर्यावरणीय कारकों के संपर्क में आना।
टाइप-1 डॉयबिटीज़ और टाइप-2 डॉयबिटीज़ दोनों के कारण अलग अलग या मिलते जुलते भी हो सकते हैं। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण निम्न स्थितियां हो सकती हैं –
– इंसुलिन की कमी
– परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज होना
– बढ़ती उम्र
– हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल
– एक्सरसाइज ना करने की आदत
– हार्मोन्स का असंतुलन
– हाई ब्लड प्रेशर
– खानपान की गलत आदतें
इंसुलिन एक हार्मोन है जो ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में भेजने में मदद करके रक्त में ग्लूकोज (एक तरह की चीनी) के स्तर को कम करता है। जब शरीर अपने आप पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है तो डॉक्टर डायबिटीज़ के इलाज के लिए इस हार्मोन का उपयोग करते हैं।
इंसुलिन को आपकी त्वचा के ठीक नीचे वसा में इंजेक्ट किया जा सकता है जिसमें एक सिरिंज और सुई या एक पेन जैसी डिवाइस होती है जिसकी सुई में इन्सुलिन भरा होता है। आप कितनी बार इन्सुलिन लेते हैं यह आपके मधुमेह के प्रकार, आपके रक्त शर्करा के स्तर और आप कितनी बार खाते हैं, इस पर निर्भर करता है। यह हर दिन कई बार हो सकता है।
उपवास के समय ब्लड शुगर लेवल 99 mg/dL या उससे कम होना सामान्य या नार्मल है।
126 mg/dL या उससे अधिक हाई ब्लड शुगर स्तर माना जाता है, इससे पता चलता है कि आपको डायबिटीज़ है।
हाई Blood Sugar Symptoms | हाई ब्लड शुगर के लक्षण
– अधिक प्यास लगना
– बार-बार पेशाब आना, बदबूदार पेशाब आना
– अचानक सिर में दर्द
– भूख अधिक लगना
– वजन कम हो जाना या बढ़ जाना
– थकान और कमज़ोरी
– आंखों के आगे धुंधलापन
– घाव भरने में सामान्य से अधिक समय लगना
– स्किन इंफेक्शन
– ओरल इंफेक्शन
– वजाइनल इंफेक्शन
Low Blood Sugar Symptoms | लो ब्लड शुगर के लक्षण
टाइप-1 डायबिटीज़ के लक्षण (signs of type 1 diabetes) अचानक हो सकते हैं और निम्नलिखित हो सकते है –
– चक्कर आना
– घबराहट होना
– बच्चों का रात में बिस्तर गीला करना
– अचानक वजन कम हो जाना
– अचानक धुंधला दिखाई देना
– सामान्य से ज्यादा पसीना आना
– तेज दिल की धड़कन
– ज्यादा भूख लगना
– चिड़चिड़ापन
– शरीर में झुनझुनी
– नींद ठीक से न आना
ज़्यादा प्यास लगना।
पेशाब जल्दी आना।
अचानक भूख बढ़ जाना।
अचानक वजन घटना।
थकान।
नज़र धुंधली होना।
घाव धीरे-धीरे ठीक होना।
बार-बार इन्फेक्शन होना।
– पानी ज़्यादा पियें, पानी आपके ब्लड से फालतू शुगर को पेशाब के रास्ते से निकालने में मदद करता है, और यह आपको पानी की कमी से बचने में भी मदद करता है।
– व्यायाम करें।
– अपने खाने की आदतों को बदलें। संतुलित आहार लें।
– दवाएं बदलें, दवाओं के मामले में अपने डॉक्टर से सलाह करें।
सावधानी: यदि आपको टाइप 1डायबिटीज़ है और आपका ब्लड शुगर हाई है, तो आपको अपने मूत्र की जांच करने की आवश्यकता है। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह करें।
600 mg/dL या उससे अधिक है तो यह खतरनाक ब्लड शुगर स्तर की श्रेणी में आता है। इस स्थिति को डायबिटिक हाइपरोस्मोलर सिंड्रोम कहा जाता है।
लो ब्लड शुगर के केस में मरीज़ को जल्दी असर करने वाला शुगर युक्त कुछ (सामान्य सॉफ्ट ड्रिंक या फलों का जूस) खिलाना चाहिए जिसमें चीनी की मात्रा अधिक हो। फिर उनसे लम्बे समय तक काम करने वाला स्रोत जैसे मांस या पनीर के साथ बना सैंडविच खाने को कहें।
– अंडे : अंडे स्वादिष्ट, बहुमुखी और नाश्ते के लिए एक बढ़िया विकल्प हैं।
– जामुन के साथ ग्रीक योगर्ट: जामुन के साथ ग्रीक योगर्ट एक आसान, स्वादिष्ट और पौष्टिक नाश्ते का विकल्प है।
– ओवरनाइट चिया सीड पुडिंग : चिया के बीज मधुमेह वाले लोगों के लिए उपयुक्त हैं क्योंकि उनमें बहुत अधिक फाइबर और स्वस्थ ओमेगा -3 फैटी एसिड होते हैं फिर भी सुपाच्य कार्ब्स में कम होते हैं।
– दलिया: ओटमील स्टील-कट, रोल्ड या इंस्टेंट ओट्स से बना एक पौष्टिक नाश्ता है।
– लो कार्ब स्मूदी: हालाँकि स्मूदी आमतौर पर कार्ब्स और चीनी से भरी होती है, लेकिन स्वादिष्ट, कम कार्ब वाली स्मूदी बनाने के कई तरीके हैं।
– गेहूं की भूसी का अनाज: गेहूँ का चोकर गेहूँ की गिरी की बाहरी परत होती है जिसे मिलिंग प्रक्रिया के दौरान हटा दिया जाता है।
– पनीर, फल और अखरोट का कटोरा: पनीर नरम, मलाईदार और स्वादिष्ट होता है। यह मधुमेह वाले लोगों के लिए नाश्ते का एक उपयुक्त विकल्प भी है।
– नट बटर के साथ मल्टीग्रेन टोस्ट: क्लासिक अखरोट का मक्खन और टोस्ट एक साधारण नाश्ता विकल्प है।
– मल्टीग्रेन टोस्ट के साथ टोफू स्क्रैम्बल: टोफू एक बहुमुखी और बढ़िया नाश्ते का विकल्प है क्योंकि यह कार्ब्स में कम है फिर भी इसमें बहुत अधिक प्रोटीन और वसा है।
– लो कार्ब पेनकेक्स: लो कार्ब सामग्री से बने पैनकेक नाश्ते का एक स्वादिष्ट विकल्प है। पेनकेक्स को ताजे फल, चीनी मुक्त सिरप के साथ सबसे ऊपर रखा जा सकता है या कृत्रिम स्वीटनर के साथ छिड़का जा सकता है।
खाने के बाद नींद आना डायबिटीज़ का संकेत हो सकता है, लेकिन बहुत से लोग जिन्हें डायबिटीज़ नहीं है, वे भी खाना खाने के बाद अपने ऊर्जा स्तर में गिरावट का महसूस करते हैं। यह आमतौर पर आपके द्वारा खाए जाने वाले ब्लड शर्करा की प्रतिक्रियाओं से संबंधित होता है।
डायबिटीज़ के मरीज़ों में, अपर्याप्त इंसुलिन शरीर को ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए शरीर की कोशिकाओं में रक्त से ग्लूकोज प्राप्त करने से रोकता है। जब ऐसा होता है, शरीर ऊर्जा के लिए वसा और मांसपेशियों को इस्तेमाल करना शुरू कर देता है, जिससे पूरे शरीर के वजन में कमी आती है।
– ज्यादा वजन को कम करें। वजन कम करने से मधुमेह का खतरा कम होता है।
– शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहें। नियमित शारीरिक गतिविधि के कई फायदे हैं।
– ताज़ा हरे पत्ते वाले सब्ज़ियां खाएं। सब्ज़ियां आपके आहार में भरपूर विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट प्रदान करते हैं।
– स्वस्थ वसा खाओ।
– जंक फ़ूड छोड़ें और स्वस्थ विकल्प चुनें।